kanchan singla

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मैं लौट आयी हूं....!!

मैं लौट आयी हूं....

लेकर एक नया संसार
जीवन जीना है जिसमें
जितना सरल उतना कठिन
हर मोड़ पर खड़ा एक नया इम्तिहान
इंतजार में, करने तुम्हारे हौसलों की पहचान।।

मैं लौट आयी हूं....
लेकर एक नयी बहार
फूलों को खिलना है जिसमें
नए नए रंगो के साथ 
कहीं गुलाबी, कहीं लाल
पीले की है जैसे भरमार
सफेद लेकर शांति की चादर 
बिछा जैसे बीच बाज़ार।।

मैं लौट आयी हूं....
लेकर एक असीम प्रकाश
जगमग होना है तुमको जिसमें
अपने अंदरुनी प्रकाश के साथ 
अंधेरे का एक एक कण गायब होगा
रोशनी के तेज पुंज प्रकाश के साथ
प्रकाशित होगा तुम्हारा अंतर्मन
मिल पाओगे जब तुम रोशनी के संग।

मैं लौट आयी हूं....
लेने तुम्हारे अंधेरों को
देने तुमको रोशनी की उजली लौ
गहरी उदासीयों को लेकर जाऊंगी मैं
देकर जीने की नई अभिलाषाओं का संसार।।


मैं लौट आयी हूं....
तुम्हारे ही भीतर 
तुम्हारी उम्मीदों की लौ बनकर ।।

- कंचन सिंगला ©®
लेखनी प्रतियोगिता -19-Nov-2022

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10 Comments

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन रचना

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Gunjan Kamal

24-Nov-2022 06:10 PM

बहुत खूब

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Rajeev kumar jha

19-Nov-2022 11:33 PM

बहुत खूब

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